भारत का फार्मा उद्योग 8-10% की वार्षिक दर से बढ़ते हुए 2030 तक लगभग 120-130 बिलियन डॉलर पर पहुंच सकता है। सिर्फ सामान्य जेनेरिक दवाओं से आगे, अब कॉम्प्लेक्स जेनेरिक, बायोसिमिलर, इंजेक्टेबल और ऑन्कोलॉजी, डायबिटीज जैसी विशेष बीमारियों की दवाओं में सबसे ज्यादा संभावनाएं हैं। एपीआई दवाओं पर अधिक ध्यान दिया जाएगा, जो चीन पर निर्भरता कम करती हैं। साथ ही लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों के लिए मूल्य-वर्धित फॉर्मूलेशन पर भी फोकस बढ़ेगा।
