आपके जानकारी के लिए बता दें कि 2010 में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में सबसे पहले इस रोग की पहचान सुअरों में की गई थी। सुअरों से ही इस वायरस का संक्रमण मनुष्यों में आया। इसलिए जिन जगहों पर सुअरों की आबादी ज्यादा है, वहाँ इस बीमारी के फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
इस बारे में डॉ. संजय अग्रवाल, लीडिंग फार्मास्युटिकल्स कंसल्टेंट एंड इन्वेंटर, अहमदाबाद का कहना है कि एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण एक बच्चे से दूसरे बच्चे में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर सिरदर्द से बीमारी का आगाज होता है और फिर धीरे-धीरे सर्दी-जुकाम, गले में खराश के लक्षण नजर आने लगते हैं। बीमारी की अवस्था और भी गंभीर हो जाने पर और भी लक्षण जुड़ने लगते हैं। चलिए डॉ.संजय अग्रवाल के कहे अनुसार एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण के बारे में विस्तार से जानते हैं-
सिरदर्द- बच्चे जैसे ही एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से आक्रांत होते हैं, उनको सिर में तेज दर्द महसूस होने लगता है। साथ ही सर्दी-जुकाम के लक्षण नजर आने लगते हैं। शुरूआत में ये लक्षण मौसम के बदलाव के कारण हुआ है, ये मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन ऐसा गलती न करें।
सर्दी-जुकाम– जैसा कि पहले ही बताया गया है कि सिरदर्द के साथ सर्दी-खांसी होने लगता है, लेकिन एच3एन2 इन्फ्लूएंजा की खास बात यह है कि सर्दी-खांसी के लक्षणों के साथ बुखार बच्चों को नहीं होता है।
गले में खराश– सर्दी-जुकाम के बाद का लक्षण गले में खराश होना होता है। यहाँ तक कि इन लक्षणों के साथ गले से भारी खसखस (Hoarse voice) जैसी आवाज भी निकल सकती है। फेफड़ों में जकड़न महसूस होने के कारण बच्चों को सांस लेने में असुविधा महसूस हो सकती है।
थकान महसूस होना– एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण में थकान भी शामिल हो सकता है, क्योंकि शरीर पहले के लक्षणों से जुझने के कारण हद से ज्यादा थक जाती है। मरीज की इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण अवस्था गंभीर होने लगती है।
दस्त– एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी शामिल हो जाता है, जिसके कारण दस्त, कब्ज, दस्त से खून भी आ सकता है। इन सब लक्षणों से मरीज की इम्यूनिटी और भी लो हो जाती है, जिसके कारण ठीक होने में समय लगता है। अगर इस दौरान बच्चों को हाइड्रेटेड नहीं रखा गया तो स्थिति गंभीर हो सकती है।