कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिवीर दवा की भूमिका

कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिवीर दवा की भूमिका

अहमदाबाद, डॉ. संजय अग्रवाल। आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के इलाज के लिए वैक्सीन बनाने के पीछे भाग रही है। हाल ही में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि रेमडेसिवीर दवा जिससे इबोला का इलाज किया गया था, उससे कोरोना का इलाज भी किया जा सकता है। चलिये इस बात को समझने के लिए पहले रेमडेसिवीर के फंक्शन और यूज के बारे में जानते हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड-19-पैंडेमिक का कारण सार्स-सीओवी 2 नामक वायरस है। बता दें कि वायरस बैक्टिरीया से अलग होते हैं। इनके पास अपने विकास के लिए पर्याप्त सेल्स नहीं होते। ये सेल्स उससे भी छोटे होते हैं। वायरस में प्रोटीन का आवरण होता है जिसमें आरएनए और डीएनए होता है। वायरस किसी को संक्रमित करने के लिए पहले सतह से चिपकते हैं फिर उसके सेल्स को इंफेक्टेड करते हैं। चिपकने के बाद वायरस डीएनए या आरएनए को सेल्स के भीतर पहुँचा देता है। यहां सेल्स में मौजूद तरह-तरह के केमिकल्स के रियेक्शन से डीएनए या आरएनए बनने लगते हैं। फिर ये सेल्स नष्ट हो जाते हैं और वायरस नए सेल्स की खोज में फैलने लगते हैं। यही क्रम लगातार चलता रहता है और इसी के कारण व्यक्ति में रोग के लक्षणों का जन्म होता है।

आरएनए और डीएनए मूल रूप से तीन केमिकल्स से बनते हैं- नायट्रोजन-बेस, ग्लूकोज और फॉस्फेट। डीएनए की बात अभी हम नहीं करते हैं , क्योंकि कोरोनावायरस के भीतर यह नहीं होता। आरएनए बनाने के लिए चार प्रकार के नायट्रोजन-बेस होते है- एडिनीन , गुआनीन , सायटोसीन और यूरासिल। इसके अलावा ग्लूकोज रायबोज़, फॉस्फेट भी होता है। ये तीनों प्रकार के रसायन खास ढंग से एक दूसरे से जब जुड़ते हैं, तब जाकर आरएनए बनता है।

जब नायट्रोजन-बेस रायबोज ग्लूकोज से जुड़ता है तब उसको न्यूक्लियोसाइड कहते हैं। आरएनए के अणुओं यानि एटम्स में क्रमबद्ध ढंग से न्यूक्लियोसाइड लगे होते हैं । हर न्यूक्लियोसाइड से फॉस्फेट जुड़ा होता है। एडिनीन , गुआनीन, सायटोसीन और यूरासिल – चार प्रकार के नाइट्रोजन बेस होते हैं। इससे चार प्रकार के न्यूक्लियोसाइड बनते हैं। इन चारों के नाम हैं -एडिनीन + रायबोज से बना एडिनोसीन , गुआनीन + रायबोज से बना गुआनोसीन , सायटोसीन + रायबोज से बना सायटिडीन और यूरासिल + रायबोज से बना यूरिडीन। मानव-आरएनए में ये चारों मिलते हैं। सार्स-सीओवी 2 के आरएनए में भी ये चारों मिलते हैं। अब यहाँ से रेमडेसिवीर नामक दवा का फंक्शन शुरू होता है, जिसकी संरचना एडिनोसीन से मिलती-जुलती है।

डॉक्टर मरीज को रेमडेसिवीर का इंजेक्शन देते हैं। यह दवा दरअसल एक प्रोड्रग होता है। प्रोड्रग वे दवाएँ होती हैं, जिन्हें पहले शरीर में जाकर अपने सक्रिय स्वरूप यानी ड्रग में बदलना होता है। मानव-कोशिकाओं में रेमडेसिवीर एक्टिव होकर प्रवेश करती है। यहाँ कोरोनावायरस अपनी प्रतियाँ बनाने में लगा है। अपने एक खास एन्जाइम आरएनए-पॉलिमरेज की मदद से यह अपने विषाणु-आरएनए की नयी-नयी प्रतियाँ बना रहा होता है। रेमडेसिवीर चूँकि एडिनोसीन-जैसी लगती है, इसलिए वायरस इससे चकमा खा जाता है। वह इसे एडिनोसीन की जगह इस्तेमाल कर लेता है। फिर वायरस के एन्जाइम आरएनए-पॉलिमरेज का कामकाज भी इस दवा के कारण रुक जाता है। इस तरह से नये वायरस आरएनए का निर्माण नहीं हो पाता है। जब वायरस नए आरएनए बना ही नहीं पायेंगे, तब नए वायरस की कॉपी कैसे बनेगी? नतीजन सार्स-सीओवी 2 की सेल्स बढऩे की गति रुक जायेगी।

अब-तक पाये नतीजों के अनुसार कोविड-19 में रेमडेसिवीर के प्रयोग की बात की गयी है। वैसे तो यह एकदम रामबाण दवा नहीं है ,लेकिन थोड़ा-बहुत फायदा मरीजों को मिल रहा है। दरअसल रेमडेसिवीर कुछ ही महीनों पहले बनी दवा नहीं है। इसका प्रयोग पहले भी अनेक वायरस के खिलाफ किया जाता रहा है। इस दवा की निर्मात्री अमेरिकन कम्पनी जिलियेड है , जो अनेक दवाओं का पहले भी निर्माण करती रही है।
रेमडेसिवीर को भी जिलियेड ने हेपेटाइटिस-सी और रेस्पिरेटरी सिनसीशियल विषाणु के लिए एक दशक पहले बनाया था, पर मार्केटिंग का अप्रूवल नहीं मिला। इबोला, मारबर्ग, सार्स, मर्स के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल किया गया, पर पर्याप्त ढंग से कारगर नहीं हो पाया। फिर कोविड-19 फैला। यह अप्रैल 2020 की बात है, तब तक जिलियेड ने भी कोई विश्वसनीय दावा दवा के सन्दर्भ में नहीं किया था।
फिर धीरे-धीरे ट्रायलों के नतीजे आने शुरू हुए। इन ट्रायलों की अपनी कमियाँ रही है। इनसे परिपक्व नतीजे निकाल सकंे, इस पर लगातार अनुसंधान किया जा रहा है। सच तो यह है कि रेमडेसिवीर दवा बहुत पुरानी तो है लेकिन यह कोविड-19 के इलाज के लिए उपचार में लाया जाये कि नहीं, इस बात पर अभी भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। अभी तक की कोई भी स्टडी इस बात को प्रमाणित नहीं कर रही है। भविष्य में अच्छी खबर की आशा रहेगी।

–  लेखक लीडिंग फार्मास्युटिकल कंसल्टेंट और इन्वेन्टर है।